
नई दिल्ली। मौजूदा समय में इंटरनेट हर किसी की जरुरत बन गया है, चाहे वह शोधार्थी हो या कोई अन्य पेशेवर। इसमें वे सभी तथ्य और संसाधन मौजूद हैं, जिसे सामान्य तरीके से ढूंढ़ पाना मुश्किल है, क्योंकि इंटरनेट ने समूचे विश्व को एक क्लिक में कैद कर दिया है। वहीं दूसरी ओर इसकी व्यापकता और गोपनीयता के कारण बड़े पैमाने पर इसका दुरुपयोग करने वालों की भी कमी नहीं हैं।
इंटरनेट के दुरुपयोग से इतर साइबर जानकार इसे जानकारी का बहुपयोगी माध्यम बताते हुए मौजूदा समय में इंटरनेट के शैशव काल में होने की बात कहते हैं और इससे जुड़ी गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूत तंत्र बनाने की बात पर जोर देते हैं।
इंटरनेट के फैले वैश्विक जाल और उसकी महत्ता की बात करें तो इसे ईजाद करने वाले लेन क्लीनरॉक ने फेसबुक, ट्विटर या आरकुट जैसी सोशल नेटवर्किग साइट की शायद ही कभी कल्पना की होगी, जो मौजूदा समय में कम्प्यूटर इस्तेमाल करने वालों के लिए एक जुनून बन चुका हैंहालांकि, इसकी व्यापकता का नकारात्मक असर भी लोगों पर पड़ा है। आतंकी गतिविधि को अंजाम देने और राष्ट्र विरोधी रणनीति बनाने समेत इस पर किए जाने वाले अन्य गैर कानूनी कार्यों की एक लंबी फेहरिस्त है। इसमें धमकी भरे ईमेल, पोनोग्राफी, हैकिंग, फर्जी वेबसाइट आदि शामिल हैं।
इंटरनेट से जुड़े इन खतरों ने बारे में साइबर मामलों के जानकार सुरेश गोयल ने कहा कि कभी-कभी सकारात्मक चीजों के साथ नकारात्मक चीजें भी आ जाती हैं। इंटरनेट भी इससे अछूता नहीं है लेकिन दिक्कत इस बात की है कि जिस रफ्तार से प्रौद्योगिकी ने विकास किया है उस रफ्तार से निगरानी रखने वाला तंत्र विकसित और सक्षम नहीं बन सका।
इंटरनेट के जन्म की बात करें तो अमेरिका के लास एंजिल्सि स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर वैज्ञानिकों ने दो सितंबर, 1969 को 15 फुट लंबे तार के माध्यम से दो कम्प्यूटर को आपस में जोड़कर डाटा का आदान-प्रदान किया। इसके बाद 29 अक्टूबर, 1969 को लेन क्लीनरॉक ने इस परीक्षणों के माध्यम से इंटरनेट का सूतपात्र किया। क्लीनरॉक ने इंटरनेट के माध्यम से एक ही शब्द लिखा था कि कम्प्यूटर ठप [क्रैश] हो गया। इसके बाद के वर्षों में रेय टोम्लिसन ने 1971 में पहला ईमेल भेजा, फिर जनवरी, 1985 में डाट काम, डाट नेट, डाट ओराजी जैसे डोमन तकनीक का इजाद किया गया।
दो नवंबर, 1988 को व्यापक तौर पर इंटरनेट का पहली बार इस्तेमाल किया गया। 1990 में टिन बर्नर्स ली ने वर्ल्ड वाइट वेब [डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू] इजाद किया। इस प्रकार इंटरनेट गुरुवार को 40 साल का हो जाएगा लेकिन इसे शैशावस्था में ही कहा जाएगा। पत्रकारिता के छात्र अजय पांडेय इंटरनेट को बहुपयोगी साधन बताते हुए कहते हैं कि इस छोटे से माध्यम में समूची दुनिया समाई हुई है। पांडेय ने कहा कि मैंने आरकुट के माध्यम से अपने एक दोस्त को खोज निकाला, जिससे कई सालों से कोई संपर्क नहीं था।
विश्व में यदि इंटरनेट उपयोग करने वालों की संख्या देखें तो 1999 में यह आकड़ा 25 करोड़ था, जो 2008 में बढ़कर एक अरब 50 करोड़ हो गया। इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले देशों में भारत चौथे नंबर पर है जबकि चीन शीर्ष पर है। जबकि इसके उलट सबसे अधिक यानी करीब 80 फीसदी आस्ट्रेलियाई इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।

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