Thursday, October 29, 2009

मुफलिसी का मारा मजदूर


Inteligent Host
मूंढापाडे, मुरादाबाद [कासं]। कर्ज के बोझ में दबे एक गरीब परिवार द्वारा कर्ज अदायगी की राशि जुटाने के लिए अपने ही मासूम बच्चे की कीमत लगवाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बढ़ती महंगाई के बीच पत्‍‌नी व नौ बच्चों की परवरिश में मजबूर हुए एक ग्रामीण मजदूर ने अपने डेढ़ वर्षीय बेटे को बेचने का सौदा कर दिया। मुंहमागी रकम न मिलने से माता-पिता द्वारा की जा रही अपने ही मासूम बच्चे की यह सौदेबाजी बीच में अटक गई, हालाकि कर्ज से छुटकारे को यह परिवार अभी भी बच्चे की कीमत लगवाने को तैयार है।

यह कहानी है महानगर से कुछ दूर स्थित मूंढपाडे थाना क्षेत्र के गाव वीरपुर वरीयार निवासी अमीरा पुत्र जुम्मा के घर की। पाच बेटे और चार बेटियों के पिता अमीरा ने महंगाई में घर की गाड़ी न चलती देख करीब एक साल पहले गाव के ही एक व्यक्ति से बेटी की शादी के लिए 21 हजार रुपये कर्ज लिया था। इस रकम पर ब्याज का पहिया ऐसा घूमा कि किश्तों में 22 हजार चुकाने के बाद भी उस पर 40 हजार कर्ज बकाया बताया जा रहा है।

अमीरा का कहना है कि इस देनदारी पर ग्रामीण महाजन ने कुछ दिन पहले उसे रास्ते में रोककर जबरन बंधक बना लिया। बमुश्किल छूटा तो कर्ज चुकाने के लिए एक दोस्त की सलाह पर उसे एक बेऔलाद को अपना सबसे छोटा बेटा बेचकर कर्ज चुकाने का रास्ता ही सूझा। मासूम बच्चे के खरीददारों ने भी अमीरा से संपर्क साध लिया लेकिन कहानी अटक गई एक लाख की माग के सापेक्ष सिर्फ 15 हजार रुपये देने की कोशिश जाने पर। सब्जी और सामान की तरह बच्चे की बोली लगती देख गाव के कुछ संजीदा लोगों ने दखल दिया। ग्रामीणों ने चंदा करके अमीरा को कर्ज अदायगी की राशि देने का भरोसा दिलाया तो बच्चा खरीदने वालों ने तो कदम वापस खींच लिए, लेकिन कर्ज के दबाव में घिरा अमीरा अभी भी सूदखोर से बचने के लिए मासूम को बेचने की बात कह रहा है।

इस बाबत पूछने पर अमीरा और उसकी पत्‍‌नी कल्ली ने यही कहा कि सूदखोर के उत्पीड़न से बचने के लिए कलेजे पर पत्थर रखकर कलेजा का टुकड़ा बेचने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है। जमीन-मकान है नहीं और रिहायश भी प्रधान द्वारा दी झोपड़ी में है, लिहाजा बेचने को और कुछ नहीं बचा।

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