नई दिल्ली। घातक इंफ्लूएंजा [एच-1 एन-1] यानी स्वाइन फ्लू के गत अप्रैल में विश्व महामारी का रूप धारण करने के बाद पिछले 11 महीने में दुनिया भर में इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या 15,174 पर पहुंच गई है जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक संख्या अकेले अमेरिकी क्षेत्र में है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन [डब्ल्यूएचओ] के सूत्रों ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 209 देश अब तक इसकी चपेट में आ चुके हैं और इससे मरने वालों की संख्या 15,174 पहुंच चुकी है, जिसमें 7261 रोगी अमेरिकी क्षेत्र के हैं। इससे पहले गत 30 दिसंबर को जारी आंकड़ों में इस रोग से मरने वालों की संख्या 12,220 बताई गई थी।
पिछले दिनों जिनीवा में हुई डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक में डब्ल्यूएचओ द्वारा स्वाइन फ्लू को गलत तरीके से महामारी घोषित करने के तरीके के बारे में मीडिया में आए समाचारों के संबंध में चर्चा भी हुई। सूत्रों के अनुसार स्वयं डब्ल्यूएचओ दुनिया में स्वाइन फ्लू की पुष्टि के कुल मामलों की संख्या के बारे में पूरी तरह सुनिश्चित नहीं है और यह नहीं कहा जा सकता कि यही वास्तविक संख्या है, लेकिन उसका मानना है कि इस रोग की पुष्टि के मामलों की जो संख्या दिखाई जा रही है, वह कम हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि इसकी वेबसाइट में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की जो संख्या बताई गई है, वह वास्तविक मामलों की संख्या से कम है क्योंकि सभी देशों के लिए अब इस रोग के बारे में जांच और व्यक्तिगत मामलों की रिपोर्ट देना अनिवार्य नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के बाद यूरोप का स्थान है जहां इस रोग का संक्रमण पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है और वहां इस अवधि तक मरने वालों की संख्या 3,605 पहुंच गई है। उसके बाद पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र का स्थान है जहां स्वाइन फ्लू का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है और वहां पर मरने वालों की संख्या 1,653 हो गई है। उसके बाद दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र का स्थान है जहां यह संख्या बढ़कर 1,474 हो गई है।
सूत्रों के अनुसार पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में इसका प्रसार बढ़ा है और मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,014 हो गई है जबकि अफ्रीकी क्षेत्र में इस रोग से मरने वालों की संख्या बढ़कर 167 तक पहुंच गई है। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि यूरोपीय और अमेरिकी देशों द्वारा स्वाइन फ्लू वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या के बारे में सूचना नहीं दी जा रही है।
डब्ल्यूएचओ ने 6 जुलाई से इंफ्लूएंजा [एच-1 एन-1] के रोगियों की संख्या नियमित रूप से जारी करना बंद कर दिया था। एजेंसी का कहना था कि इससे सामाजिक और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।
Monday, February 22, 2010
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