Tuesday, July 21, 2009

कुदरत के करिश्मे पर नजर


नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। इक्कीसवीं सदी के सबसे लंबे सूर्यग्रहण को लोग ताउम्र याद रखेंगे। लेकिन इस दौरान प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल अनंत काल तक होगा। इसी उद्देश्य के साथ पटना के तारेगना, इलाहाबाद के कोरांव, भोपाल और सूरत में वैज्ञानिकों का जमावड़ा है। इस दौरान लो फ्रीक्वेंसी उत्सर्जन से लेकर जानवरों के व्यवहार तक का अध्ययन किया जाएगा।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के वनविहार नेशनल पार्क के वैज्ञानिक इस अद्भुत खगोलीय घटना का जानवरों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कर रहे हैं। बुधवार की सुबह जब सूर्यग्रहण मध्य प्रदेश से होकर गुजरेगा, तो इस दौरान जानवरों के व्यवहार में आने वाले परिवर्तनों को दर्ज किया जाएगा। सूर्यग्रहण के कारण जानवरों की जैविक घड़ी [बायलाजिकल क्लाक] गड़बड़ा जाती है। इससे उनके व्यवहार में बदलाव आता है। इसके लिए मांसभक्षी प्रजाति के 41 जानवरों का चुनाव किया गया है। पिछले पंद्रह दिनों से उनके व्यवहार पर नजर रखी जा रही है।

गुजरात में भी प्रयोग

गुजरात के सूरत स्थित एक विश्वविद्यालय के छात्र समुद्री जीवों पर इस ग्रहण के असर का अध्ययन कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी डा. मोहिनी गढि़या ने बताया कि अगले तीन दिन तक चार लोगों की उनकी टीम गोल्ड फिश और प्रान पर ग्रहण के प्रभावों पर नजर रखेगी। इसकी वीडियोग्राफी भी की जाएगी।

बनारस में भी तैयारी

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भी कई अध्ययन हो रहे हैं। विश्वविद्यालय का भौतिकी विभाग सैटेलाइट और मौसम विभाग के आंकड़ों की मदद से निचले और ऊपरी वातावरण का अध्ययन करेगा। इस संबंध में आंकड़ों का संकलन शुरू कर दिया गया है, जो अगले तीन दिन तक जारी रहेगा। इस काम में लो फ्रीक्वेंसी और हाई फ्रीक्वेंसी रिसीवरों के अलावा जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

इस दौरान चूंकि दिन में रात जैसी स्थिति होगी, इसलिए वैज्ञानिक लो फ्रीक्वेंसी उत्सर्जनों को रिकार्ड करेंगे। विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के अलावा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी टेलीस्कोप की मदद के इस खगोलीय घटना पर नजर रखेगा। इस दौरान विश्वविद्यालय में देश भर से कई वैज्ञानिक जुटेंगे।

कम हो सकता है गुरुत्व बल

लंदन। ऐसा प्रयोग सौ साल में एक बार होता है, जैसा चीनी वैज्ञानिक कर रहे हैं। वे उस सिद्धांत को परख रहे हैं, जिसके अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान गुरुत्व बल में मामूली कमी आती है। इसके लिए बुधवार को दक्षिण चीन में जहां ग्रहण का असर होगा, वैज्ञानिकों की टीम गुरुत्व बल के आंकड़े दर्ज करेगी।

उल्लेखनीय है कि इस सिद्धांत पर पहले भी काम हो चुका है। 1954 में फ्रांस के अर्थशास्त्री और भौतिक विज्ञानी मारिस अलाय ने सूर्यग्रहण के दौरान पेंडुलम की गति में बदलाव महसूस किया था। अब तक पूर्ण सूर्यग्रहण के 20 मौकों पर गुरुत्व बल के आंकड़े जुटाए गए हैं। लेकिन अभी तक वैज्ञानिक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं।

देखेंगे सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क] इंतजार खत्म। जहां मौसम मेहरबान रहेगा, वहां लोग सदी के सबसे लंबे सूर्यग्रहण का दीदार करेंगे। जहां उसकी नजरें टेढ़ी होंगी, वहां के लोगों को निराशा हाथ लगेगी। लेकिन जिसने देख लिया, वह चमत्कृत हो जाएगा प्रकृति के कमाल को देखकर। तीन से लेकर चार मिनट तक दिन में रात। घुप अंधेरा। अब इतना लंबा सूर्यग्रहण वर्ष 2132 में दिखाई देगा। इस वक्त धरती की जितनी आबादी है, उसमें कोई भी तब तक शायद ही जिंदा बचेगा।

सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने से पैदा हुआ यह खगोलीय दृश्य गुजरात के भावनगर, सूरत, मध्य प्रदेश के उज्जैन, भोपाल, इंदौर, सागर, जबलपुर उत्तर प्रदेश के बनारस, इलाहाबाद, बिहार के गया, पटना, भागलपुर, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी, असम के गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ में सबसे अच्छी तरह देखे जाने की संभावना है। इस दौरान तारेगना सहित कई स्थानों पर वैज्ञानिकों का जमावड़ा लगा है। उन्हें उम्मीद है कि पूर्ण सूर्यग्रहण के अध्ययन से अहम जानकारियां प्राप्त होंगी। कुदरत के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी।

जिन देशों में पूर्ण सूर्यग्रहण देखा जाएगा, उनमें भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन शामिल हैं। चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में पांच मिनट के लिए सूर्यग्रहण रहेगा। सबसे ज्यादा छह मिनट 38 सेकेंड तक पूर्ण सूर्यग्रहण जापान में देखा जाएगा।

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